घर में कौन-सा stabilizer इस्तेमाल किया जाता है?
आमतौर पर हमारे घरों में पंखा, set-top-box और television का इस्तेमाल अधिक तौर पर किया जाता है। लेकिन घरों में बिजली के वोल्टेज हमेशा कम और ज्यादा होते रहते हैं जिस वजह से इन उपकरणों के जलने की समस्या आने लगती है। इस समस्या से निपटने के लिए हमें एक stabilizer की जरूरत पड़ती है।
यदि आप stabilizer पर ज्यादा उपकरणों का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो जरूरत के अनुसार 500 watts, 1kv या इससे भी ज्यादा क्षमता के stabilizer खरीद सकते हैं। लेकिन यदि आप उस पर सिर्फ टेलीविजन, सेट-टॉप-बॉक्स और पंखे जैसे ही उपकरण इस्तेमाल करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको इतने पॉवर का स्टेबलाईजर लेने की कोई जरूरत नहीं है।
इन उपकरणों जैसे कम बिजली ऊर्जा की खपत करने वाले उपकरणों के लिए आप 200 या 300 watts का स्टेबलाईजर भी खरीद सकते हैं। लेकिन यदि आप खुद इलेक्ट्रॉनिक्स के कामों में interest रखते हैं और खुद से ये stabilizer बनाना चाहते हैं तो हमारे पोस्ट्स को पढकर आप बिल्कुल ये काम कर सकते हैं।
खुद से स्टेबलाईजर बनाना बहुत ही आसान है लेकिन एक ही post में स्टेबलाइजर बनाने की विधि के पूरे process को समझा पाना लगभग मुश्किल भरा काम है। इसलिए हम एक ही post में इसके पूरे प्रोसेस को न बताकर इसके सभी connection को अलग-अलग पोस्ट में समझायेंगे ताकि आप न सिर्फ हमारे पोस्ट को पढकर खुद से स्टेबलाईजर बना सकें बल्कि ये सारी प्रक्रिया आपको पूरी तरह से याद ही हो जाए और साथ ही आपको जरा सी भी बोरिंग न लगे।
तो आज हम आपको स्टेबलाईजर में रिले किट के पूरे कनेक्शन के बारे में विस्तारपूर्वक बताने जा रहे हैं। इस पोस्ट में आप जानेंगे कि 200 और 300 वाट के स्टेबलाईजर में relay kit की wiring कैसे की जाती है। लेकिन इससे पहले कि हम रिले किट के कनेक्शन के बारे में बताएं, पहले ये बता देते हैं कि रिले किट क्या है और stabilizer में इसका क्या काम है?
Relay kit क्या है और stabilizer में इसका क्या काम है?
Mannual stabilizer के regulator के किसी भी point पर output voltage हमारे घरों के voltage के हमेशा समानुपाती होते हैं। Example के लिए मान लीजिए कि यदि अभी आपके स्टेबलाईजर का rottery switch 8 नंबर पर है और आपके घर के मेन बिजली का voltage 100 volt है और इस स्थिति में stabilizer का output 200 वोल्ट है। तो यदि अभी आपके घर का voltage 10 वोल्ट घटकर 100 से 90 जाये तो स्टेबलाईजर का आउटपुट voltage 20 वोल्ट घटकर 180 volt हो जायेगा।
ऐसा इसलिए क्योंकि पहले स्थिति में stabilizer का output घर के मेन बिजली के आउटपुट से 2 गुना था इसलिए घर के voltage में जितनी भी गिरावट आएगी उसका दोगुना गिरावट स्टेबलाईजर के output में भी होगी। इतना ही नहीं, यदि घर का voltage घटने के बजाये और बढ़ जाये तो जितना घर के voltage में बढोत्तरी होगी उसकी दोगुनी बढोत्तरी स्टेबलाईजर के output में भी होगी।
तो, हमारे घरों के वोल्टेज कभी एक समान नहीं रहते हैं और हमेशा ही घटते-बढते रहते हैं। ऐसे में यदि कभी मेन वोल्टेज कम हो जाए तब तो कोई दिक्कत नहीं है लेकिन यदि ज्यादा हो जाये तो उस स्थिति में स्टेबलाईजर का output voltage भी ज्यादा हो जायेगा। इस स्थिति में stabilizer से जुड़े हुए उपकरण को भी नुकसान पहुँच सकता है और वो जलकर खराब भी हो सकता है।
स्टेबलाईजर में इसी समस्या से निपटने के लिए एक Relay kit का इस्तेमाल किया जाता है। इस किट की खासियत ये होती है कि जब भी कभी स्टेबलाईजर का आउटपुट वोल्टेज पहले से तय किये गए वोल्टेज से ज्यादा हो जाते हैं तो इस स्थिति में auto-cut हो जाता है और stabilizer से output सप्लाई मिलना बंद हो जाता है।
इसके बाद सप्लाई को फिर से चालू करने के लिए उसके rottery swith को एक point पीछे करना होता है जिससे स्टेबलाईजर का आउटपुट वोल्टेज कम हो जाता है और फिर से उससे सप्लाई मिलने लगता है।
क्या रिले किट के बिना स्टेबलाइजर सही से काम नहीं करेगा?
सामान्य condition में कोई भी electric उपकरण 200-220 वोल्ट पर सही से काम करते हैं। इसलिए यदि किसी भी उपकरण को इससे कम सप्लाई दिया जाये तो वो सही से काम नहीं करेगा और यदि इससे ज्यादा सप्लाई दे दिया जाये तो उस उपकरण के जलने की समस्या आ सकती है। इसलिए आमतौर पर किसी भी mannual stabilizer में ऑटो-कट के लिए 200 से लेकर 220 वोल्ट तक ही सेट किया जाता है।
हालांकि इस ऑटो-कट की स्थिति में आपको परेशानी जरूर महसूस होती होगी लेकिन ये प्रक्रिया बहुत ही जरूरी होती है। यदि stabilizer में auto-cut न हो तो एकाएक वोल्टेज बढ़ने पर उससे जुड़े हुए आपके उपकरण जलकर खराब भी हो सकते हैं। तो इस स्थिति में आपको हजारों रूपये का नुकसान भी उठाना पड़ सकता है।
तो आपने अब तक समझ ही लिया होगा कि स्टेबलाईजर में रिले किट का प्रयोग सिर्फ-और-सिर्फ auto cut के लिए ही किया जाता है। यानी कि यदि stabilizer से इस किट को निकाल दिया जाये तो भी वो बिलकुल ही सही से काम करेगा और इसके काम करने में कोइ फर्क नहीं पड़ेगा। काम नहीं करेगा तो सिर्फ-और-सिर्फ ऑटो कट वाला function. यदि आप चाहते हैं कि आपके स्टेबलाईजर में ऑटो कट वाला फंक्शन भी काम करे तो उसके लिए आपको रिले किट लगाना ही पड़ेगा।
स्टेबलाइजर में रिले किट की पूरी वायरिंग कैसे की जाती है?
रिले किट की वायरिंग भी 4 part में की जाती है। तो चलिए, सभी के बारे में विस्तार-पूर्वक जानते हैं।
1) रिले किट में power supply कैसे दिया जाता है?
रिले किट को काम करने के लिए power के रूप में 12 वोल्ट का सप्लाई दिया जाता है। 12 volt का supply देने के लिए (+) के रूप में transformer में अलग से एक connection wire निकला हुआ होता है। साथ ही (-) के लिए common वाले connection wire का इस्तेमाल किया जाता है।
ये common वाला wire भी ट्रांसफार्मर से ही निकाला जाता है। इतना ही नहीं, stabilizer के input और output, दोनों में ही इस wire को common रखा जाता है और इसका कनेक्शन बिजली बोर्ड से जोड़ा जाता है।
2) रिले किट में ऑटो-कट के वोल्टेज को कैसे सेट किया जाता है?
जब रिले किट के पॉवर सप्लाई का कनेक्शन कर दिया जाता है तब बारी आती है उस किट में auto cut voltage को सेट करने की। Relay kit में autocut voltage को set करने के लिए एक preset (प्रीसेट) लगा हुआ होता है। इस preset को अपने जरूरत के अनुसार adjust करके ऑटो कट voltage को सेट किया जाता है।
इसके बाद जब रिले किट में पॉवर देकर preset को भी सेट कर दिया जाता है तब ये किट सही से अपना काम करने लगता है। फिर इसके बाद बारी आती है स्टेबलाइजर के output का कनेक्शन इस किट से करने की।
3) Relay किट से स्टेबलाइजर के आउटपुट का कनेक्शन कैसे किया जाता है?
रिले किट से स्टेबलाइजर का आउटपुट कनेक्शन करने के लिए सबसे पहले तो इस किट के रिले के बीच वाले पॉइंट में, transformer से निकले हुए output को जोड़ा जाता है। फिर इसके बाद, रिले के एक खास point से स्टेबलाइजर के output का connection किया जाता है। इतना कर देने के बाद रिले किट का कनेक्शन तो पूरा हो जाता है लेकिन फिर भी इसमें ऑटो-कट और on की स्थिति में जलने वाले led का connection करना रह जाता है।
4) रिले किट में red colour और green colour के led का कनेक्शन कैसे किया जाता है?
(कृप्या इस भाग को पूरी तरह से पढ़ लें)
जैसा कि स्पष्ट है, stabilizer में on की स्थिति में Green colour और ऑटो-कट की स्थिति में Red colour का led बल्ब जलता है। इसलिए, हरे रंग के एलईडी के एक पिन का connection स्टेबलाइजर के output से कर दिया जाता है। और साथ ही लाल रंग के एलईडी के एक पिन का कनेक्शन रिले किट के auto-cut वाले पॉइंट के साथ कर दिया जाता है। लेकिन साथ ही, इन दोनों एलईडी के बाकी के एक पिन का कनेक्शन GND अर्थात common वाले point से कर दिया जाता है।
लेकिन जैसा कि आप सभी को पता है कि रिले किट के output और auto-cut वाले पॉइंट पर 220 volt AC मौजूद होता है जबकि, एलईडी को सिर्फ 3 volt की ही जरूरत होती है। ऐसे में यदि led का connection सीधे ही output से कर दिया जाये तो वो led पलभर में जलकर खराब हो जायेगा।
इसलिए रिले किट में led का कनेक्शन 100 किलो ओह्म्स के एक-एक प्रतिरोध को सीरीज क्रम में जोड़कर किया जाता है। इस प्रतिरोध को लगाने से led को लगभग 3 वोल्ट ही मिल पाता है जिससे वो सही से और बिना खराब हुए काम करता है।
रिले किट काम कैसे करता है?
रिले किट में सिर्फ 2 ही भाग होते हैं। पहले भाग में प्रीसेट, ट्रांजिस्टर, प्रतिरोध, डायोड, इत्यादि लगा हुआ होता है। इसी भाग में 12 वोल्ट का सप्लाई दिया जाता है और इसी भाग से ही किट के दूसरे भाग ‘रिले’ को सप्लाई दिया जाता है। लेकिन ध्यान रहे कि रिले किट में जो 12 वोल्ट का सप्लाई दिया जाता है वो fix नहीं होता है।
जिस तरह से स्टेबलाइजर का आउटपुट वोल्टेज कभी भी एक बराबर नहीं होता है, ठीक उसी तरह से रिले किट का input voltage भी कभी पूरे 12 वोल्ट नहीं होता है। सच्चाई तो ये है कि किसी भी stabilizer में रिले किट को मिलने वाले 12 volt का input सप्लाई उस stabilizer के आउटपुट वोल्टेज के हमेशा ही समानुपाती होता है।
- 12 volt का चार्जर बनाने के लिए किन-किन सामानों की जरूरत पड़ती है?
- वायरिंग करते समय ध्यान रखने वाली बातें
तो हम बता रहे थे कि किट के पहले भाग में ही 12 volt का सप्लाई दिया जाता है और उसी भाग से रिले को सप्लाई दिया जाता है। लेकिन रिले को जो सप्लाई दिया जाता है वो preset और transistor से होकर तब दिया जाता है। इसलिए रिले को तभी supply मिलता है जब स्टेबलाइजर का output voltage, प्रीसेट के सेट किये हुए वोल्टेज से अधिक हो जाता है।
तो अब मान लेते हैं कि, स्टेबलाइजर का आउटपुट वोल्टेज प्रीसेट के सेट किये हुए voltage से अधिक हो गया है और अब रिले को भी सप्लाई मिलने लगा है। तो अब ऐसे में ये सवाल उठता है कि आखिर सप्लाई मिलने के बाद ऑटो-कट कैसे हो जाता है? तो चलिए इसका भी जवाब दे देते हैं।
रिले किट में रिले को सप्लाई मिलने के बाद ऑटो-कट कैसे हो जाता है?
यदि आप इस सवाल का जवाब पाना चाहते हैं तो सबसे पहले आप ये जरूर पढ़ लें कि रिले क्या है और ये कैसे काम करता है? हालांकि ये बातें हम पहले भी बता चुके हैं, लेकिन एक बार फिर बता देते हैं कि रिले एक Automatic switch (आटोमेटिक स्विच) है जो अपने जरूरत के अनुसार निश्चित सप्लाई मिलने के बाद ही काम करता है।
जब रिले को उचित supply मिल जाता है तब ये अपने से जुड़े हुए कनेक्शन के दिशा को बदल देता है। यही बात स्टेबलाइजर में भी देखने को मिलता है, जब रिले को सप्लाई मिलने लगता है तब वो अपना काम शुरू कर देता है और ट्रांसफार्मर से निकले हुए output को स्टेबलाइजर के output से हटाकर ऑटो-कट के साथ कनेक्ट कर देता है। बस, ऐसा होते ही स्टेबलाइजर की लाल बत्ती जल जाती है और उससे से जुड़े हुए उपकरण काम करना बंद कर देते हैं।
यदि कुछ देर तक auto-cut को बंद नहीं किया जाए तो क्या स्टेबलाइजर खराब हो जायेगा?
इस बारे में सभी लोगों की राय अलग-अलग होती है। हालांकि उनमें से कुछ सही होते हैं तो कुछ गलत भी। लेकिन आज हम आपको इससे जुडी हुई सारी बातें बताएँगे। जैसा कि हमने पहले ही बता दिया है कि ऑटो-कट हो जाने के बाद स्टेबलाइजर का output सप्लाई बंद हो जाता है, तो ऐसे में जाहिर-सी बात है कि उससे जुड़े हुए किसी भी उपकरण को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचेंगे, क्योंकि जब उन्हें सप्लाई ही नहीं मिलेगा तो भला नुकसान कहाँ से पहुंचेंगे।
अब रही बात, auto-कट की स्थिति में स्टेबलाइजर या उसके ट्रांसफार्मर के खराब होने की, तो ट्रांसफार्मर के खराब होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। ऐसा इसलिए क्योंकि जब auto-cut होता है तब ट्रांसफार्मर को जरूरत से ज्यादा सप्लाई मिल रहा होता है, तो ऐसे में उसे नुकसान पहुंच भी सकता है। इसलिए हमेशा कोशिश करें कि ऑटो-कट होते ही रेगुलेटर को घुमा कर उसे सही कर लें।
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